देश में कोरोना संकट और अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत व अन्य परेशानियों को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कोरोना संकट से निपटने के लिए नेशनल प्लान के बारे में जानकारी मांगी। कोर्ट ने यह भी पूूछा कि, क्या वैक्सीनेशन ही मुख्य विकल्प या एकमात्र समाधान है। सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लोगों की जिंदगियां बचाने की जरूरत है। जब भी हमें जरूरत महसूस होगी, हम दखल देंगे। कोर्ट ने कहा कि ऐसी राष्ट्रीय आपदा के समय हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के केंद्र सरकार से 5 सवाल पूछते हुए आवश्यक निर्देश भी दिए।
- सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर केंद्र को मौजूदा स्थिति स्पष्ट करनी होगी। किन राज्यों में कितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता है, अलाॅटमेंट का आधार और इसमें तेजी लाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी बताना होगा।
- गंभीर होती स्वास्थ्य जरूरतों को बढ़ाया जाना चाहिए।
- रेमडेसिविर और फेवीप्रिविर जैसी जरूरी दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी।
- कोर्ट ने पूछा कि सभी को वैक्सीन लगाने के लिए कितनी वैक्सीन की जरूरत होगी ? किन तर्कों और आधार पर वैक्सीन के अलग-अलग दाम किए गए हैं?
- कोर्ट ने केन्द्र से 28 अप्रेल तक जवाब मांगा है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीनेशन के लिए संसाधनों से जुड़े मामले क्या है?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केन्द्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार हाई लेवल पर इस मसले पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री स्वयं मामले को देख रहे हैं। सरकार हालात को लेकर सजग है।