इस बात को आज सभी जानते हैं कि जिस तरह पहली औद्योगिक क्रांति में जीवाश्म ईंधनों ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी। उसी तरह आने वाले चौथे इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन में सेमीकंडक्टर का एक बहुत बड़ा योगदान होने वाला है। इंटेल के पूर्व चेयरमैन और सीईओ क्रेग बैनेट के मुताबिक आज तक हमने जो कुछ भी आविष्कार किया है, उनमें सेमीकंडक्टर माइक्रोप्रोसेसर सबसे ज्यादा जटिल खोज है। डाटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिस दौर में हम प्रवेश करने जा रहे हैं। उसमें सेमीकंडक्टर का बहुत बड़ा योगदान होने वाला है।
बीते कुछ सालों में दुनिया ने काफी तेजी से तकनीकी विकास किया है। हमारे इस तकनीकी विकास के पीछे सेमीकंडक्टर ने एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसे में भविष्य को जीतने के लिए भारत को सबसे पहले सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में महारत हासिल करनी होगी। अगर भारत इस क्षेत्र में फतेह पा लेता है, तो दुनिया कि कोई भी शक्ति उसे आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती है। हालांकि, अब तक हम सेमीकंडक्टर को लेकर आयात पर ही निर्भर हैं। इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि क्या होती है सेमीकंडक्टर चिप और कैसे भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा?
क्या होती है सेमीकंडक्टर/अर्धचालक चिप?
सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता है। इसमें विद्युत के सुचालक और कुचालक के गुण होते हैं। ये विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इनका निर्माण सिलिकॉन से होता है। इसमें कुछ विशेष तरह की डोपिंग को मिलाया जाता है, ताकि सुचालक के गुणों में बदलाव लाया जा सके। इससे इसके वांछनीय गुणों का विकास होता है और इसी पदार्थ का इस्तेमाल करके विद्युत सर्किट चिप बनाया जाता है।
कई हाईटेक उपकरणों में इस चिप को इंस्टॉल किया जाता है। सेमीकंडक्टर चिप के जरिए ही डाटा की प्रोसेसिंग होती है। इस कारण इसको इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिमाग भी कहा जाता है। आज कार से लेकर सभी बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इसका उपयोग किया जा रहा है। अर्धचालक/ सेमीकंडक्टर में सुचालक और कुचालक दोनों के गुण होते हैं। सिलिकॉन,जर्मेनियम,आर्सेनाइड,गैलियम इनमें प्रमुख हैं।
सेमीकंडक्टर के कुछ विशेष गुण क्या हैं?
- अर्धचालक पदार्थ की प्रतिरोधकता कुचालक पदार्थ से अधिक और सुचालक से कम होती है।
- अर्धचालकों में प्रतिरोध का ऋणात्मक तापमान गुणांक होता है अर्थात तापमान में वृद्धि के साथ अर्धचालक का प्रतिरोध घटता है और विद्युत चालकता बढती है।
- जब एक उपयुक्त धातु की अशुद्धता अर्धचालक में डाली जाती है तो अर्धचालकों के वर्तमान गुण में बदलाव होता है. अर्थात इनकी चालकता कम या ज्यादा हो जाती है।
- जब अर्धचालक अपनी Natural State में होते हैं तो वे ख़राब सुचालक की भांति व्यवहार करते है, लेकिन कुछ तकनीकी की मदद से अर्धचालकों में धारा का प्रवाह किया जाता है।
- अर्धचालकों की चालकता को बाहर से लगाये गए विद्युत क्षेत्र या प्रकाश के द्वारा भी परिवर्तित किया जा सकता है।
सेमीकंडक्टर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
आंतरिक सेमीकंडक्टर/अर्धचालक
बाहरी सेमीकंडक्टर/अर्धचालक
1. आंतरिक अर्धचालक
आंतरिक अर्धचालक में कोई अशुद्धियाँ नहीं पाई जाती हैं। वे केवल एक ही प्रकार के तत्व से बने होते हैं। जर्मेनियम और सिलिकॉन आंतरिक अर्धचालक तत्वों के सबसे सामान्य प्रकार हैं। आंतरिक अर्धचालकों में बहुत कम विद्युत चालकता होती है।
2. बाह्य अर्धचालक
जब धातु की अशुद्धता की थोड़ी मात्रा को अर्धचालक पदार्थ में मिलाया जाता है, तो अर्धचालक पदार्थ की विद्युत चालकता बढ़ जाती है। इस प्रकार से बने अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं।
उदाहरण के लिए जब जर्मेनियम या गैलियम में एक उपयुक्त धातु की अशुद्धता डाली जाती है, तो उनकी चालकता बढ़ जाती है।
भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाने में कैसे इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा?
आज हम सूचना युग में जी रहे हैं। चौथी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि जो देश डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में महारत हासिल करेगा। आने वाली पूरी सदी उसकी होगी। ऐसे में दुनिया के कई देश इस क्षेत्र में भारी भरकम निवेश कर रहे हैं।
वहीं बात अगर भारत की करें, तो आज हमारा देश सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आयात पर निर्भर है। भारत में बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर का आयात ताइवान, चीन, साउथ कोरिया और जापान से होता है। बात अगर सेमीकंडक्टर की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की करें, तो इसमें अकेले ताइवान की 63 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ताइवान की TSMS दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी है। वहीं दूसरी तरफ जिस तेजी से चीन का आक्रामक रवैया ताइवान कब्जाने को लेकर बढा है।
अगर भविष्य में चीन, ताइवान पर कब्जा करता है, तो इसका बहुत बुरा असर सेमीकंडक्टर के आपूर्ति श्रंखला पर पड़ेगा। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था नकारात्मक ढंग से प्रभावित हो सकती है और देशभर में आईटी क्षेत्र से जुड़े काम ठप पड़ सकते हैं।
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम क्या है?
ऐसे में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में हमको आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। हाल ही में भारत सरकार ने इसकी उपयोगिता को देखते हुए सेमीकंडक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत 10 बिलियन डॉलर के बजट को मंजूरी दी है।
भारत मार्च 2021 तक अपनी डिमांड का 100 प्रतिशत सेमीकंडक्टर चिप दूसरे देशों से आयात करता था। हालांकि, कई बड़ी कंपनियों ने भारत में सेमीकंडक्टर को बनाने के लिए असेंबली प्लांट लगाए हैं। आज भारत में ऐसे स्किल्ड वर्कर की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है, जो सेमीकंडक्टर चिप डिजाइनिंग को जानते हैं। वहीं बात अगर सेमीकंडक्टर के वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की करें, तो इसमें अभी हमारा योगदान न के बराबर है।
रिसर्च, डिजाइनिंग और उत्पादन की ओर ध्यान देना कितना आवश्यक है?
सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और एक एक्सपोर्टिंग हब बनने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर इस क्षेत्र में निवेश करना होगा। सरकार को देश में सेमीकंडक्टर के रिसर्च, डिजाइनिंग और उत्पादन को लेकर कई इनिशिएटिव चलाने होंगे।हमको वैश्विक राजनीतिक स्तर पर उन देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने होंगे, जिन्होंने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में महारत हासिल कर रखी है।
हमें उनसे साझा तौर पर सेमीकंडक्टर रिसर्च, डिजाइनिंग और उत्पादन को लेकर काम सीखना है।अगर भविष्य में हम सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में महारत हासिल करते हैं, तो दुनिया की कोई भी शक्ति हमको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है।