आज के समय में चिकित्सा विज्ञान में तेजी से विकास हो रहा है। विश्वभर में नए-नए टेस्ट की ऐसी तकनीक विकसित की जा रही है, जो रोगों की पहचान में मददगार साबित हो। इन टेस्ट में से एक अहम टेस्ट टेस्ट है ट्रोपोनिन आई, जिसका उपयोग हृदय संबंधित समस्याओं की जांच में किया जाता है। आज हम इस आर्टिकल में इस टेस्ट के बारे में विस्तार से जानेंगे।
ट्रोपोनिन आई क्या है?
ट्रोपोनिन एक प्रकार की प्रोटीन होती है जो हमारे हार्ट की मांसपेशियों की कार्यक्षमता की देखभाल करने में मदद करती है। ट्रोपोनिन के दो प्रमुख प्रकार होते हैं – पहला ट्रोपोनिन आई और दूसरा ट्रोपोनिन टी।
यह प्रोटीन हृदय की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ट्रोपोनिन आई टेस्ट विशेष रूप से हृदय की चोट और क्षति की जाँच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट हार्ट की कंडीशन जैसे हार्ट अटैक, छाती में दर्द के कारणों के परीक्षण में मदद करता है।
ट्रोपोनिन आई टेस्ट क्यों किया जाता है?
ट्रोपोनिन आई टेस्ट का मुख्य उद्देश्य हार्ट संबंधित समस्याओं की जांच करना होता है, जैसे कि हार्ट अटैक या दिल की धड़कन में कोई समस्या तो नहीं है? जब हृदय मांसपेशियों में कोई क्षति होती है, तो ट्रोपोनिन आई प्रोटीन रिलीज होता है और इसका स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में ट्रोपोनिन आई के स्तर में बढ़ोतरी यह संकेत हो सकता है कि हृदय में कोई समस्या है और हृदय की कार्यक्षमता पर इसका असर हो सकता है।
ट्रोपोनिन टेस्ट किन कारणों से किया जाता है?
मुख्य तौर पर ट्रोपोनिन आई टेस्ट का मुख्य उद्देश्य हृदय संबंधित समस्याओं की जांच करना होता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे कारणों के बारे में बताएंगे जिसमें ट्रोपोनिन आई टेस्ट के द्वारा हम यह जान सकते हैं कि किसी व्यक्ति के हृदय में कोई असमानता हो रही है या नहीं।
हार्ट अटैक की पहचान : ये टेस्ट हार्ट अटैक की पहचान में आवश्यक होता है। हार्ट अटैक के दौरान, हृदय मांसपेशियों में डैमेज होता है और ट्रोपोनिन आई प्रोटीन रक्त में बढ़ जाता है। ऐसे में ये टेस्ट पता लगाता है कि ट्रोपोनिन आई प्रोटीन की मात्रा खून में कितनी है।
दिल की धड़कन में तकलीफ: जब हृदय के मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचने में समस्या से होती है, जिससे दर्द या तकलीफ होती है, तो इस टेस्ट को करने की आवश्यकता रहती है।
दूसरी हार्ट से जुड़ी परेशानियां की पहचान: ट्रोपोनिन टी टेस्ट दूसरी हार्ट से जुड़ी परेशानियां, जैसे कि अस्थमा (asthma), रसोलेप्टिक घाव (rheumatic lesions), या हृदय में संकुचन, दिल की बड़ी नसों की ख़राबी की पहचान में भी मददगार है।
स्ट्रेस के कारण आने वाली परेशानियां: कभी-कभी शारीरिक या मानसिक तनाव के कारण भी हृदय में डैमेज हो सकता है, जिसकी पहचान ट्रोपोनिन टेस्ट से की जा सकती है।
सर्जरी के बाद: हृदय से जुड़ी सर्जरी के बाद, ये टेस्ट सर्जरी के रिजल्ट्स की पहचान करने में मददगार है।
हार्ट हेल्थ की मॉनिटरिंग: ये टेस्ट लंबे समय तक हृदय स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग के लिए किया जा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनमें रिस्क फैक्टर्स हैं।
डॉक्टर की सलाह: जब किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य जांच में हृदय समस्याओं की संभावना होती है, तो डॉक्टर ट्रोपोनिन आई टेस्ट की सिफारिश कर सकते हैं। ट्रोपोनिन आई टेस्ट इसलिए किया जाता है ताकि किसी भी संकेत को अगर पकड़ा जा सके तो सही समय पर उपचार शुरू किया जा सके।
ट्रोपोनिन टी टेस्ट के पहले क्या करें ?
आमतौर पर, डॉक्टर टेस्ट करने से पहले कुछ घंटे तक भोजन नहीं करने की सलाह देते हैं, जिससे टेस्ट के रिजल्ट पर कोई असर न हो। इंटरनेट पर मौजूद हेल्थ आर्टिकल्स के अनुसार ट्रोपोनिन टी टेस्ट के लिए व्यक्ति को 8-12 घंटे की भूख की स्थिति में आना चाहिए, जिससे टेस्ट की सटीकता बढ़ सके। टेस्ट से पहले यदि कोई दवा ली जा रही है तो उस पर कोई रोक नहीं होती।
ट्रोपोनिन टी टेस्ट कैसे किया जाता है?
ट्रोपोनिन टेस्ट में ब्लड सैंपल लिया जाता है। यह एक तरह की खून की जांच के जैसा ही है।
ब्लड सैंपल: सबसे पहले, डॉक्टर एक छोटी सी नीडल का इस्तेमाल करके आपकी बांह की एक नस से थोड़े से खून का सैंपल लेते हैं। कई बार सही परिणाम के लिए लक्षण दिखने के तीन से छह घंटे में एक बार फिर खून के सैंपल लेते हैं।
ट्रोपोनिन आई मॉनिटरिंग: ट्रोपोनिन आई टेस्ट में सैंपल अलग-अलग समय के अंतराल पर लिया जाना चाहिए, ताकि ट्रोपोनिन के बढ़ते और घटते स्तर का पता लगाया जा सके।
लेबोरेटरी टेस्ट : लैब में, ट्रोपोनिन आई टेस्ट के दौरान ब्लड सैंपल की जांच की जाती है। खास मशीनों का इस्तेमाल करके डॉक्टर ब्लड में ट्रोपोनिन आई के प्रोटीन की मात्रा को मापते हैं।
रिसीप्ट और रिजल्ट्स: जब जाँच पूरी होती है, तो डॉक्टर को “ट्रोपोनिन आई” की मात्रा के बारे में पता चलता है। जिसके बाद डॉक्टर, मरीज को परामर्श देते हैं।
ट्रोपोनिन आई टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज क्या है?
अब हम ट्रोपोनिन आई टेस्ट के आधार पर नॉर्मल रेंज और असामान्य स्थिति के बारे में बताएंगे
सामान्य परिणाम :
निर्देशित रेंज : 0.0 ng/mL से 0.04 ng/mL या उससे कम।
सक्रिय रेंज : 0.04 ng/mL से 0.40 ng/mL या उससे कम।
यह टेस्ट किसी भी हृदय सम्बन्धी लक्षण दिखने पर पांच-छह घंटे में फिर से किया जाना चाहिए।
असामान्य परिणाम:
अगर टेस्ट में 0.05 से 0.49 ng/mL रेंज आती है तो भविष्य में हृदय सम्बन्धी समस्या का खतरा बना रहता है। यहां पर यह ध्यान देना आवश्यक है कि हर एक लैब की रेंज थोड़ी सी अलग हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से ये पूछना जरूरी होता है कि उनके लैब की रेकमेंडेड रेंज क्या है और टेस्ट के परिणाम कैसे कोरिलैटड हो रहे हैं।
निष्कर्ष
ट्रोपोनिन आई टेस्ट हृदय से जुड़ी परेशानियों को पहचानने में मदद करने वाला एक आवश्यक टेस्ट है। इस टेस्ट से डॉक्टर हार्ट की हेल्थ की जांच करके इलाज़ के बारे में सही फैसला ले सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी या ऊपरी शरीर में दर्द रहना जैसी परेशानिया होती हैं, तो डॉक्टर से सम्पर्क अवश्य करें।
उपरोक्त आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध ट्रोपोनिन आई टेस्ट पर की विविध जानकारियों एवं आर्टिकल्स के आधार पर लिखा गया है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से ही सम्पर्क करें। इस आर्टिकल को आधार मानकर कोई भी निर्णय नहीं लें। यह आर्टिकल टेस्ट को लेकर सामान्य जानकारी के लिए ही लिखा गया है।