बात आज से करीब तीन साल पहले यानी की है। केंद्र में प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizen Amendment Act) यानी सीएए (CAA) लागू करने की बात की थी। नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था।
उस समय इस कानून को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं। मुस्लिम समाज सहित विपक्षियों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे लेकर लगातार स्थिति साफ रखी। एक बार फिर देश में सीएए चर्चा में है। अब संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में सीएए लागू हो सकता है।
ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर नागरिकता संशोधन अधिनियम है? तो
आइए जानते हैं नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizen Amendment Act) क्या है और क्यों हुए इस पर विवाद-
क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम Citizen Amendment Act kya hai in hindi?
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA को आसान भाषा में समझा जाए तो इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी इनमें भी 6 समुदाय हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना अनिवार्य था। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाया गया है और नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल किया गया है।
क्या करता है ये CAA कानून?
CAA कानून प्रवासियों को स्वयं नागरिकता नहीं देता है बल्कि उन्हें नागरिक बनने के आवेदन करने के योग्य बनाता है। CAA कानून उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। CAA कानून के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए प्रवासियों को आवेदन करना होगा, जिसमें कुछ बातों की पुष्टि करनी होगी, जो इस प्रकार है।
- प्रवासियों को इसका प्रमाण दिखाना होगा कि वे भारत में पांच साल रह चुके हैं।
- प्रवासियों को ये साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं।
- वे प्रवासी जो उन भाषाओं को बोलते हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में हैं।
- वे प्रवासी जो नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते हों.
इन शर्तों को पूरा करने के बाद ही प्रवासी आवेदन के पात्र होंगे। हालांकि उसके बाद भी भारत सरकार निर्णय करेगी कि इन लोगों को नागरिकता देनी या नहीं।
क्या कहता है CAA कानून?
Citizen Amendment Act के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धर्मों के अल्पसंख्यकों को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा।
CAA कानून में इन देशों और धर्मों का जिक्र
Citizen Amendment Act लागू होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को इसका लाभ मिलेगा। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुलेगा। ये छह धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।
इन शर्तों को पूरा करना आवश्यक
व्यक्ति को जिस तारीख से आवेदन करना है, उससे पहले 12 महीनों से भारत में रहना होगा।
व्यक्ति को नागरिकता के लिए कम से कम छह साल भारत में बिताना जरूरी।
इन राज्यों में कानून लागू नहीं
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के अनुसार संविधान की छठी अनुसूची में शामिल राज्य व आदिवासी क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं होगा। ये प्रावधान बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत अधिसूचित ‘इनर लाइन’ क्षेत्रों पर भी लागू नहीं होंगे।
अत: ये कहा जा सकता है नागरिकता संशोधन अधिनियम या सीएए पड़ोसी देशों में उन अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का एक रास्ता है ताकि वे वहां की उत्पीडन से निकलकर भारत में बेहतर जिन्दगी जी सके।