केन्द्र सरकार ने सोमवार को नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना लॉंच की। योजना के अनुसार केंद्र सरकार अपनी संपत्तियों के नियत अवधि तक इस्तेमाल का अधिकार बेचकर और इनविट जैसे निवेश के अन्य तरीकों से अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपए (81 बिलियन डॉलर) जुटाएगी। सरकार को इससे राजस्व बढ़ाने और वित्तीय घाटे पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इसका रोडमैप जारी कर दिया है। इसके तहत रोड और रेलवे संपत्तियों, एयरपोर्ट, पावर ट्रांसमिशन लाइनें और गैस पाइपलाइनों को बेचे बिना उनमें निजी क्षेत्र का भी निवेश लाया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में रिवाइवल के लिए इंफ्रा सेक्टर अहम रोल निभाएगा। सरकार पब्लिक प्रॉपर्टी में निजी निवेश लाने के लिए उनको मॉनेटाइज करेगी। इससे जो भी रकम आएगी उसका इस्तेमाल देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि जिन एसेट का पूरा वित्तीय इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, उनको बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र को साथ लाया जाएगा। पब्लिक प्रॉपर्टी को नहीं बेचा जाएगा और उनका मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा। NMP के टॉप 3 सेक्टर में रोड, रेलवे और पावर सेक्टर शामिल होंगे। अगले चार साल में 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और मौजूदा एयरपोर्ट में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी और 160 कोयले की खानों को मॉनेटाइज किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत सिर्फ केंद्र सरकार की संपत्तियों का मॉनेटाइजेशन किया जाएगा। राज्यों को अपने एसेट मॉनेटाइज करने को बढ़ावा देने के लिए केंद्र उनको इनसेंटिव देगा। राज्यों को 50 साल का बिना ब्याज का लोन दिया जाएगा, जिसके लिए इस वित्त वर्ष के बजट में 5,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अगर राज्य अपनी किसी कंपनी को बेचते हैं, तो केंद्र उससे मिलने वाली रकम के बराबर वित्तीय सहायता देगा। अगर वे उसको शेयर बाजार में लिस्ट कराते हैं, तो उससे मिलने वाली रकम का आधा हिस्सा और अगर उसको मॉनेटाइज करते हैं, तो केंद्र 33% हिस्सा सहायता के तौर पर देगा।