वीर अब्दुल हमीद! यह नाम सुनते आज भी हमारी रगों में देशभक्ति की लहर दौड़ पड़ती है। देशभक्ति का यह जज्बा हो भी क्यों न! वीर अब्दुल थे ही कुछ ऐसे। अदम्य शौर्य, साहस और वीरता की अद्भूत मिसाल वीर अब्दुल हमीद की कहानी देशभक्ति के रंगों से भरी पड़ी है। 1965 के भारत पाक युद्ध में उन्होंने जिस वीरता और कुशलता का परिचय देते हुए पाक के अजेय पैटन टैंकों के छक्के छुड़ाए, प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करता रहेगा। इसी युद्ध में 10 सितम्बर 1965 को वे वीरगति को प्राप्त हो गए थे। भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत उन्हें सेना के सर्वोच्च परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
अब्दुल हमीद का जीवन परिचय
वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में 1 जुलाई 1933 को पिता मोहम्मद उस्मान और माता सकीना बेगम के घर हुआ था। वीर अब्दुल हमीद 29 दिसम्बर 1954 को भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में चयनित हुए थे, जिसके बाद उनकी तैनाती रेजीमेंट के 4 ग्रेनेडियर बटालियन में की गई थी।
भारत पाक युद्ध 1965 में अब्दुल हमीद की भूमिका
बात 5 से 10 अगस्त 1965 की है, जब भारतीय सेना ने पाक घुसपैठियों को पकड़ा था, जिस पर भारतीय सेना को यह मालूम चल गया कि वे गोरिल्ला युद्ध नीति के तहत 30 हजार प्रशिक्षित लड़ाके कश्मीर पर कब्जा करने आ रहे हैं। इसके बाद 8 सितम्बर पर भारतीय सेना पर हुए हमले में वीर अब्दुल हमीद ने जो भूमिका निभाई वह आज तक हमें गर्व से भर देती है।
8 सितम्बर 1965 की आधी रात को यह हमला हुआ था। दुश्मन सेना अमेरिकन पैटन टैंकों के साथ युद्ध में उतरी थी। पाकिस्तान ने “खेम करन” सेक्टर के “असल उताड़” गाँव पर हमला कर दिया। उस समय हमारी सेना के पास इन टैंकों का जवाब देने के लिए कोई खास हथियार नहीं थे। वीर अब्दुल हमीद के पास “गन माउनटेड जीप” थी जो पैटन टैंकों का जवाब देने के लिए कुछ भी नहीं थी। इसके बावजूद अब्दुल हमीद पैटन टैंकों के कमजोर हिस्सों पर निशाना लगाते हुए एक एक कर 7 टैंकों को धवस्त कर दिया। इससे सेना का मनोबल बढ़ गया और पाक सेना भागनी शुरू हो गई।
इसी दौरान पाक के भागते सैनिकों का पीछा करते हुए अब्दुल हमीद की जीप पर एक गोला आकर गिरा और वीर अब्दुल बूरी तरह घायल हो गए। इसके बाद अगले दिन 9 सितम्बर को वे शहीद हो गए लेकिन उनके देहांत की आधिकारिक घोषणा 10 सितम्बर को की गई थी।
वीर अब्दुल हमीद को उनके वीरता पूर्वक युद्ध के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्हें समर सेवा, रक्षा पदक और सैन्य सेवा पदक भी मिल चुका है।
वीर अब्दुल हमीद की वीरता की गाथा सदैव हमें प्रेरित करती रहेगी।