उदयपुर। कहानी उदयपुर के उद्यमी और समाजसेवी मुकेश माधवानी की है जो पिछले कई वर्षों से उदयपुर में नामी उद्यमी होने के साथ ही समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़े हैं। मुकेश माधवानी बीइंग मानव पहल के तहत उदयपुर सहित देशभर के विविध शहरों से सेवाकार्यों की पहल को आगे बढ़ा रहे हैं। वे यह काम एम स्क्वायर फाउंडेशन के बैनर तले करते हैं जो उनका खुद का ट्रस्ट है। माधवानी के सेवा कार्यों में सबसे अच्छी बात यह है कि उनके कार्यों में महिला और बालिका स्वावलंबन पहले नंबर पर है। महिलाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए उनके ट्रस्ट के द्वारा अब तक 10 से अधिक ऐसी पहल शुरू की गई हैं जो सिर्फ महिलाओं के लिए या फिर नेतृत्व महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है।
मुकेश माधवानी पिछले पांच वर्षों से महिला अधिकारों, उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए काम कर रहे हैं। इनमें जेल में महिला कैदियों के लिए कौशल और रोजगार जैसे कार्य भी शामिल हैं।
मुकेश माधवानी का कहना है कि देश की आजादी के करीब 75 वर्षों के बाद भी महिलाएं समाज की मुख्य धारा में नहीं आ सकी है। आज भी समाज में उन्हें दौयम दर्जा ही मिलता है। किसी संगठन में पद देना हो या रोजगार, महिलाओं की सदैव अनदेखी ही की जाती है। ऐसे में मेरा मानना है कि यह नियम टूटना चाहिए। महिलाओं को भी बड़े पदों पर रहने, नेतृत्व करने, व्यापार करने का हक है। उन्हें यह हक मिलना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए बीइंग मानव की अधिकतर पहल महिलाओं और बालिकाओं के लिए शुरू की गई। ताकि उन्हें अपनी योग्यता दिखाने का अवसर मिल सके।
मुकेश माधवानी ने अपने सेवाकार्यों को संगठन का नाम देकर जब काम शुरू किया तो इसकी जिम्मा भी महिला को ही दिया था और शुरूआत में उनका कार्यक्षेत्र भी महिलाओं के लिए ही रहा। संगठन के द्वारा महिलाओं को आवश्यक वस्तुएं, कौशल आदि प्रदान किया जाता था।
जेल अगरबत्ती — मुकेश माधवानी के द्वारा यह पहल जेल में सजा काट रही महिला कैदियों के लिए शुरू की गई थी। जिसमें महिला कैदियों को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया ताकि वे सजा पूरी होने के बाद एक सम्मानीत जीवन जीकर गुजारा कर सके। यह उत्पाद जेल अगरबत्ती के नाम से बाजार में उतारा गया।
बीइंग मानव डिपार्टमेंटल स्टोर — महिलाओं के द्वारा चलाया जाने वाले इस स्टोर पर महिलाओं द्वारा निर्मित खाद्य पदार्थों को बिक्री के लिए रखा जाता है। जहां से आमजन खरीदारी कर सकता है। यह महिला स्वरोजगार के लिए बड़ा प्रयास था।
बीइंग मानव लेडी फूड आउटलेट — यह पहल भी महिलाओं को समर्पित थी जिसमें महिलाओं के द्वारा फूड आउटलेट शुरू किया गया। जहां महिलाएं ही उसका संचालन और प्रबंधन करती। यहां से होने वाली आय को आपस में बांटा जाता।
अवॉर्ड फंक्शन — मुकेश माधवानी के द्वारा महिलाओं को उत्साहवर्धित करने के लिए ‘आई एम शी’ अवॉर्ड फंक्शन की भी शुरुआत की गई। जिसमें विविध क्षेत्रों में कार्य करने वाली महिलाओं को विभिन्न कैटेगरीज में सम्मानित किया जाता है। यह प्रदेश स्तर पर आयोजित किया जाता है।
स्किल एवं पर्सनलिटी डवलपमेंट — बीइंग मानव के द्वारा प्रतिमाह महिलाओं और बालिकाओं के लिए स्किल एवं पर्सनलिटी डवलपमेंट प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। जिसमें शहर की महिलाएं एवं बालिकाएं शामिल होती हैं। इसमें प्रशिक्षण भी महिलाएं ही देती है।
महिला जागरूकता कार्यक्रम — बीइंग मानव पहल के तहत समय समय पर महिला सुरक्षा एवं जागरूकता, स्वास्थ्य शिविर, खेल आदि का आयोजन किया जाता है ताकि वे तनाव मुक्त और स्वस्थ रह सके।
ऑनलाइन वर्कशॉप — फिल्म अभिनेत्री शालिनी चन्द्रन के द्वारा बीइंग मानव पहल के तहत हर माह ऑनलाइन वर्कशॉप होती है। जिसमें किसी भी एक विषय पर शालिनी चन्द्रन के द्वारा वक्तव्य दिया जाता है। जोकि काफी लोकप्रिय है।
महिला अध्यक्षा — बीइंग मानव के तहत देशभर में संचालित 30 क्लबों की कमान महिलाओं को दी गई है। जिसमें महिलाएं बीइंग मानव क्लब के तहत उन शहरों में सेवाकार्य करती है।
आत्मरक्षा शिविर — इसके अलावा बीइंग मानव के द्वारा आत्मरक्षा के लिए भी समय समय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। ताकि महिलाएं एवं बालिकाएं स्वयं की रक्षा कर सके।
उपरोक्त के अलावा भी मुकेश माधवानी के द्वारा बीइंग मानव पहल के तहत कई कार्य महिला केन्द्रित किए जा रहे हैं। मुकेश माधवानी का ध्येय अब बालिका आत्मरक्षा कोर्स को शिक्षा में शामिल करवाना है। वे इसके लिए प्रयास करत रहे हैं।
मुकेश माधवानी का कहना है कि हम चाहकर भी महिला अपराध को रोक नहीं सकते लेकिन अगर महिलाएं आत्मरक्षा के गुर सीख जाए। बालिकाएं स्कूली शिक्षा के साथ ही आत्मरक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त कर लें तो महिला अपराधों में अवश्य कमी आएगी।
अब मुकेश माधवानी राजस्थान की स्कूली शिक्षा में बालिका आत्मरक्षा प्रशिक्षण कोर्स को भी अनिवार्य करवाने के लिए प्रयासरत हैं। उनकी मांग है कि इस बार के बजट में महिला आत्मरक्षा प्रशिक्षण के लिए भी राशि का आवंटन होना चाहिए। साथ ही जिला स्तर पर महिला आत्मरक्षा प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना हो ताकि बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा सके। स्कूलों में भी सप्ताह में एक दिन ऐसे प्रशिक्षण होने चाहिए।