अक्सर हमने देखा है कि छात्र राजनीति में आने के बाद युवा अपनी ताकत बड़े पदों पर पहुंचने में लगा देता है और बिना कोई सामाजिक सरोकार के कार्य किए सिर्फ पदों पर पहुंचने की लालसा रखता है। लेकिन कुछ ऐसे युवा छात्र नेता ऐसे भी हैं जो कर्म में अधिक विश्वास करते हुए सामाजिक सरोकार के कार्य कर लोगों का जीवन बदल रहे हैं। ऐसे ही एक युवा है उदयपुर के सिद्धार्थ सोनी, जो प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का जीवन बदलने के लिए काम कर रहे हैं। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में केंद्रीय छात्र संघ महासचिव रह चुके सिद्धार्थ सोनी (Siddharth Soni) आज उदयपुर में युवा राजनीति का एक बड़ा नाम और चेहरा है।
सिद्धार्थ सोनी अपनी काबिलियत के दम पर छात्र राजनीति में पहुंचे जहां उन्होंने एक मुकाम हासिल किया और उसके बाद संगठन में भी बड़े पदों पर रहे लेकिन पढ़ाई के दौरान उन्होंने प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के जीवन को बदलने का जो बीड़ा उठाया उसे आज भी निरंतर करते आ रहे हैं।
यह बात 2017 के आसपास की है। तब तक सिद्धार्थ सोनी सुखाड़िया विश्वविद्यालय केंद्रीय महासचिव और विश्वविद्यालय के कला महाविद्यालय के महासचिव रह चुके थे। इससे पहले तक वे व्यक्तिगत तौर पर बच्चों को शिक्षण सामग्री यूनिफॉर्म जूते आदि उपलब्ध करवाते थे। लेकिन एक छात्र के रूप में जब वे अलग-अलग विद्यालयों में जाते थे तो देखते थे कि वहां पर प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पास जूते स्टेशनरी यूनिफार्म टिफिन आदि सहित कई सुविधाओं का अभाव है।
एक बार ऐसे ही जब वे किसी कार्य से उदयपुर से करीब 20 से 25 किलोमीटर चमरा तलाई गांव में पहुंचे तो ऐसी ही कहानी उनके सामने आई। तब उन्होंने ठान लिया कि अब मैं इन बच्चों के जीवन को बदलने के लिए काम करूंगा। शुरुआत में सिद्धार्थ सोनी ने अपनी पॉकेट मनी से ही बच्चों के लिए कुछ न कुछ लाने का प्रबंध किया। कभी वे उनके लिए स्टेशनरी लाए तो कभी किसी बच्चे को जूते दिला दिए। लेकिन बच्चों की संख्या अधिक थी और पैसे कम।
ऐसे में उन्होंने अपने दोस्तों को यह बात बताई कि हम सभी को मिलकर उन बच्चों के लिए भी करना चाहिए जो संसाधनों के अभाव में स्वयं को हीन महसूस करते हैं और विद्यालय नहीं जा पाते हैं। उसके बाद उन सभी ने मिलकर एक सिद्धम नाम का ग्रुप बनाया। जिसमें भरत बोराणा, करिश्मा सोनी, मिस्बाह कादरी, गौरव वर्मा, अभिजीत सिंह खींची आदि शामिल थे।
सभी ने पॉकेट मनी एकत्रित करने शुरू की और चरमा तलाई के करीब 70 बच्चों को उन्होंने शूज वितरित किए। उनके इस कार्य की काफी सराहना हुई। उनसे लोग जुड़े तो उन्होंने अन्य स्कूलों में भी ऐसा करना शुरू किया। धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया और आज करीब 13 स्कूलों के एक हजार से ज्यादा बच्चों को स्वेटर स्टेशनरी चप्पल यूनिफार्म जैसी सुविधाएं सिद्धार्थ सोनी (Siddharth Soni) के नेतृत्व में उनकी टीम उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने 3 स्कूलों में लाइट कनेक्शन भी करवाए हैं। साथ ही एक नई प्रथा शुरू की है कि उनके दोस्तों के ग्रुप में किसी का जन्मदिन होगा तो किसी एक स्कूल में जाएंगे और वहां पर केक काटेंगे और उन बच्चों को कोई न कोई सुविधा उपलब्ध करवाएंगे।
सिद्धार्थ सोनी का कहना है कि “बर्थडे पार्टी में हम बहुत सारा पैसा मौज शौक में उड़ा लेते हैं लेकिन अगर यही जन्मदिन जरूरतमंद बच्चों के बीच में मनाया जाए तो हमें अधिक खुशी होगी और अगर हम उन्हीं पैसों का बच्चों को कुछ देंगे तो बच्चों को भी सुविधा उपलब्ध होगी।”
सिद्धार्थ सोनी की इस मुहिम से कई युवा जुड़े हैं और अपना जन्मदिन ऐसे दूर-दराज के गांव में उन जरूरतमंद बच्चों के बीच में जाकर मनाते हैं जिन्हें चीजों की आवश्यकता है और उन बच्चों को जन्मदिन पर स्टेशनरी शूज और कोई भी इस प्रकार की वस्तु दी जाती है जो उनके पास नहीं है उन्हें उनके काम आएगी।
सिद्धार्थ सोनी (Siddharth Soni) के प्रयासों के बल पर आज उनकी टीम के द्वारा सोशल मीडिया आदि माध्यमों से भी मदद मांगी जाती है और गोद ली गई सभी 13 स्कूलों में कोई भी चीज की आवश्यकता होती है तो उनके द्वारा पूरी की जाती है। इसके अलावा सिद्धार्थ सोनी और उनकी टीम ने कुछ अस्पतालों से भी संपर्क कर चिकित्सा शिविर लगवाने का भी प्रबंध किया है। यह मेडिकल कैंप अलग-अलग स्कूलों में लगवाए जाते हैं और वहां पर बच्चों के प्राथमिक स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें दवाइयां दी जाती है।
सिद्धार्थ सोनी बताते हैं कि उनके द्वारा करीब 80 से अधिक ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों से भी जोड़ा गया है। क्योंकि वह बच्चे सुविधाओं के अभाव में स्कूल छोड़ देते थे। ऐसे में उन्होंने और उनकी टीम ने ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल से जुड़ा ताकि वे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर अच्छी नौकरी कर सकें।
सिद्धार्थ सोनी का मानना है कि किसी भी छात्र नेता या व्यक्ति के राजनीति में आने का उद्देश्य का मूल समाज की सेवा ही होना चाहिए। अगर आप वास्तविक में समाज की सेवा करना चाहते हो तो आपके साथ लोग भी जुड़ेंगे और आप राजनीति में स्वत: ही आगे बढ़ोगे। लेकिन आपकी मूल लालसा सिर्फ राजनीति में आगे बढ़ने की है और आप समाज के लिए कुछ नहीं करना चाहते हो तो आप कभी भी राजनीति में तरक्की नहीं कर सकते।”
सिद्धार्थ सोनी कहते हैं कि “हम युवा है और हमारा देश युवाओं का है। ऐसे में अगर युवा जरूरत बच्चों की मदद नहीं करेगा तो कौन करेगा। अगर हम मदद करेंगे तो ये बच्चे भी हमसे प्रेरणा लेकर आने वाले बच्चों की मदद करेंगे।”
सिद्धार्थ सोनी कहते हैं कि”मैं चाहता हूं कि ऐसी प्रथा शुरू हो जिसमें एक छात्र अपने से छोटे की आर्थिक और किसी भी प्रकार की मदद हो सके, वह करें। ताकि वह उनसे प्रेरणा लेकर उसके बाद आने वाले छात्रों की मदद करें। इससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा और कोई भी बच्चा सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई नहीं छोड़ेगा।
उदयपुर जिले के आसपास की 13 स्कूलों के बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के अलावा सिद्धार्थ सोनी उदयपुर शहर के निराश्रित लोगों को भी भोजन उपलब्ध करवाने का कार्य करते हैं। उनके द्वारा समय-समय पर निराश्रितों को भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। साथ ही आमजन से पुराने कपड़े, स्वेटर आदि एकत्र कर जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाई जाती है।
युवा नेता एवं समाजसेवी सिद्धार्थ सोनी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं एवं उदयपुर शहर के मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाते रहे हैं। लेकिन उदयपुर शहर में उनकी पहचान एक समाजसेवी और जिंदादिल इंसान के तौर पर ज्यादा होती है। उनकी पहचान एक ऐसे छात्र नेता के रूप में है जो अपने बलबूते और नेतृत्व से अपनी टीम के साथ मिलकर 13 स्कूलों के 1 हज़ार से अधिक बच्चों को समय-समय पर सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है ताकि उनकी जिंदगी बदल सके।
आज सिद्धार्थ सोने जैसे युवा नेता उन युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है जो राजनीति में अपना भविष्य देखते हैं आज भारत को सिद्धार्थ सोने जैसे युवाओं नेताओं की आवश्यकता है जो राजनीति में भविष्य देखने के साथ ही उन लोगों की तकदीर बदलने में अधिक विश्वास रखते हैं जो जरूरतमंद है।