आज से करीब 96 वर्ष पहले मात्र पांच स्वयंसेवकों से शुरू हुआ आरएसएस आज देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है। आरएसएस ने देश को दो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री सहित कई मुख्यमंत्री दिए हैं। आपातकाल में करीब डेढ़ लाख गिरफ्तारियां देकर जेपी के आंदोलन में जान फूंकने का काम किया। पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के द्वारा लगाए गए आपातकाल में संघ से जुड़े करीब 20 से अधिक संगठनों ने आपातकाल का पूरजोर विरोध किया।
आज आरएसएस से जुड़े करीब 21 संगठन विभिन्न शाखाओं के रूप में देशभर में कार्यरत है। इतना ही नागपुर से निकला आरएसएस आज दुनिया के 80 देशों में काम कर रहा है। आरएसएस की पाॅलिटिकल विंग भाजपा आज सत्ता में है। कई आरोपों के बीच आरएसएस देश में चर्चा का बड़ा केन्द्र हैं। आइए, आरएसएस के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आरएसएस की स्थापना कब हुई?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार ने की थी। उस समय संघ में सिर्फ पांच स्वयंसेवक शामिल हुए थे। लेकिन आज देश में करीब एक करोड़ से अधिक लोग आरएसएस से जुड़े हुए हैं। देशभर में संघ की प्रतिदिन करीब 60 हजार से अधिक शाखाएं लगती हैं। ये शाखाएं ही संघ की बुनियाद हंै, जिनके बल पर संघ आज देश का एक विशाल संगठन बनकर खड़ा है।
आरएसएस क्या काम करता है?
आरएसएस सामाजिक सेवा एवं सुधार और राहत एवं पुनर्वास के काम करता है। ये कार्य आपदा स्थल एवं जरूरतमंद इलाकों में स्वयंसेवकों के द्वारा किए जाते हैं। इसके अलावा देश में जातिवाद मिटाने, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़े कार्य भी संघ में बड़े स्तर पर किए जाते हैं। सामान्य शब्दों में आरएसस राष्ट्र निर्माण से जुड़ी गतिविधियों में सबसे आगे रहता है। आरएसएस के ज्यादातर कार्यों का निष्पादन संघ की शाखाओं के माध्यम से ही होता है। शाखा सुबह या शाम के समय एक घंटे के लिए होती है। जहां संघ के स्वयंसेवक मिलते हैं। आरएसएस की सामान्य गतिविधियों में खेल, योगाभ्यास, वंदना और भारत के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा करना आदि शामिल है।
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आरएसएस में सरसंघचालक का मनोनयन कैसे होता है?
आरएसएस में संगठनात्मक रूप से सबसे ऊपर सरसंघचालक का स्थान या पद होता है। उनके द्वारा ही आरएसएस का दिशा-निर्देशन किया जाता है। सरसंघचालक की नियुक्ति मनोनयन के द्वारा होती है, जिसकी घोषणा मौजूदा सरसंघचालक के द्वारा अपने उत्तराधिकारी के रूप में की जाती है। वर्तमान में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत हैं।
आरएसएस की रचनात्मक व्यवस्था कैसी है?
आरएसएस की रचनात्मक व्यवस्था इस प्रकार है।
- केंद्र
- क्षेत्र
- प्रान्त
- विभाग
- जिला
- तालुका
- नगर
- खण्ड
- मण्डल
- ग्राम
- शाखा
आरएसएस की शाखा क्या होती है?
आरएसएस की शाखा किसी मैदान या खुली जगह पर एक घंटे की लगती है। संघ की शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, परेड, गीत और प्रार्थना होती है।
आरएसएस की शाखाओं के प्रकार
- प्रभात शाखा – सुबह लगने वाली शाखा प्रभात शाखा कहलाती है।
- सायं शाखा – शाम को लगने वाली शाखा सायंकालीन शाखा कहलाती है।
- रात्रि शाखा – रात्रि को लगने वाली शाखा रात्रि शाखा कहलाती है।
- मिलन – सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को कहते हैं।
- संघ-मण्डली – महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा संघ मंडली शाखा होती है।
आरएसएस में भारत की कितनी शाखाएं लगती हैं?
आरएसएस की देशभर में अनुमानित 55,000 से ज्यादा शाखाएं लगती हैं। शाखा में कार्यवाह का सबसे बड़ा पद होता है। उसके बाद शाखाओं का दैनिक कार्य सुचारू रूप से चलने के लिए मुख्य शिक्षक का भी पद रहता है। आरएसएस शाखा में बौद्धिक व शारीरिक क्रियाओं के साथ स्वयंसेवकों का पूर्ण विकास किया जाता है। शाखाओं में आने वाले सदस्यों को स्वयंसेवक कहा जाता है।
आरएसएस कितने देशों में काम करता है?
आरएसएस दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में कार्यरत है। कई देशो में संघ की शाखाएं भी लगती हैं। लेकिन ये आरएसएस के नाम से न होकर भारतीय स्वयं सेवक संघ और हिन्दू स्वयं संघ के नाम से काम करते हैं।
संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। इनके अलावा लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं। जिसमे कुछ प्रमुख संगठन ऐसे हैं जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रिय है। जिनमें कुछ राष्ट्रवादी, सामाजिक, राजनैतिक, युवा वर्गों के बीच में कार्य कर रहे हैं। इनका कार्य क्षेत्र शिक्षा, सेवा, सुरक्षा, धर्म और संस्कृति, संत समाज आदि है। ये सभी संघ परिवार के सक्रिय संघठन कहलाते हैं।
आरएसएस का शिक्षण वर्ग क्या है?
स्वयंसेवकों को बौद्धिक और शारीरिक जानकारी देने के लिए आरएसएस के शिक्षण वर्ग की स्थापना की गई है। इन वर्गों के द्वारा समाज, राष्ट्र और धर्म की शिक्षा भी दी जाती है।
आरएसएस के शिक्षण वर्ग निम्नलिखित है?
दीपावली वर्ग – ये वर्ग तीन दिना का होता है। दीपावली वर्ग तहसील या नगर स्तर पर आयोजित किया जाता है। ये वर्ग हर साल दीपावली के आस पास आयोजित होता है।
शीत शिविर – ये वर्ग भी तीन दिन का होता है। यह जिला या विभाग स्तर पर आयोजित किया जाता है। ये हर साल दिसंबर में होता है।
निवासी वर्ग – ये वर्ग शाम से सुबह तक ही होता है। ये वर्ग हर महीने आयोजित किया जाता है। ये वर्ग शाखा, नगर या तालुका आयोजित करती है।
संघ शिक्षा वर्ग – इसमें प्राथमिक वर्ग, प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष – इस प्रकार संघ शिक्षा के कुल चार प्रकार के वर्ग होते हैं।
बौद्धिक वर्ग – ये वर्ग हर महीने, दो महीने या तीन महीने में एक बार होता है। ये वर्ग सामान्यत नगर या तहसील के द्वारा आयोजित किया जाता है।
शारीरिक वर्ग – ये वर्ग हर महीने, दो महीने या तीन महीने में एक बार होता है। ये वर्ग सामान्यत नगर या तहसील के द्वारा आयोजित किया जाता है।
आरएसएस के शिक्षा वर्ग कितने दिनों के होते हैं?
आइए, आरएसएस के शिक्षावर्ग को समझते हैं।
आरएसएस का प्राथमिक वर्ग एक सप्ताह का होता है। जबकि प्रथम और द्वितीय वर्ग 20-20 दिन के होते हैं। इसके अलावा तृतीय वर्ग 25 दिन का होता है। प्राथमिक वर्ग जिला आयोजित करवाता है। जबकि प्रथम वर्ग का आयोजन प्रांत, द्वितीय वर्ग का आयोजन क्षेत्र और तृतीय वर्ग हर साल नागपुर में होता है।
आरएसएस के सहयोगी संगठन कौन-कौनसे हैं?
देश में 21 अन्य ऐसे संगठन हैं जो आरएसएस से जुड़े हुए हैं या फिर उसका कोई विंग हैं। आरएसएस के विंग निम्नलिखित हैं।
- भारतीय जनता पार्टी
- सहकार भारती
- भारतीय किसान संघ
- भारतीय मजदूर संघ
- सेवा भारती
- राष्ट्र सेविका समिति
- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
- विश्व हिन्दू परिषद
- हिन्दू स्वयंसेवक संघ
- स्वदेशी जागरण मंच
- सरस्वती शिशु मंदिर
- विद्या भारती
- वनवासी कल्याण आश्रम
- मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
- बजरंग दल
- लघु उद्योग भारती
- भारतीय विचार केन्द्र
- विश्व संवाद केन्द्र
- राष्ट्रीय सिख संगत
- हिन्दू जागरण मंच
- विवेकानन्द केन्द्र
राजनीति में आरएसएस की भूमिका
देश में आपातकाल के समय आरएसएस के उस समय के राजनैतिक विंग जनसंघ ने आपातकाल का पूरजोर विरोध किया था। उस समय से आरएसएस की राजनैतिक भूमिका अधिक ही बढ़ गई। बाद में यही जनसंघ आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी बना। उसी भाजपा ने संघ की स्थापना के 75 वर्ष बाद सन् 2000 में केन्द्र में एनडीए के रूप में सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद सन् 2014 में भाजपा पूण बहुमत के साथ सत्ता में आई और नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी दोनों ही आरएसएस की शाखाओं से निकले थे। उनके अलावा भी आज भाजपा में कई बड़े नेता भी संघ से निकले हुए हैं।
आरएसएस की बड़ी उपलब्धियां क्या हैं?
आरएसएस ने दादरा, नगर हवेली, और गोवा को भारत में मिलाने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने 21 जुलाई 1954 को दादरा, 28 जुलाई को नरोली, फिपारिय और फिर राजधानी सिलवासा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया। इसके बाद संघ के स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त 1954 की सुबह पुतर्गाल का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा फहराया। और पूरे दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करा कर भारत सरकार को सुपूर्द कर दिया।
इसी प्रकार संघ के स्वयंसेवकों ने 1955 से गोवा मुक्ति संग्राम में भी प्रभावी भूमिका निभाई थी। जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गोवा में सशस्त्र हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया तो आरएसएस के स्वयंसेवकों ने जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में गोवा पहुंच कर आंदोलन शुरू किया। इस पर हालत बिगड़ने पर अंततः भारत को सैनिक हस्तक्षेप करना पड़ा और 1961 में गोवा आजाद हुआ। हालांकि इसके चलते जगन्नाथ राव जोशी सहित संघ के कार्यकर्ताओं को दस वर्ष की सजा भी हुई।
इसके अलावा 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी संघ के स्वयंसेवकों ने प्रभावी काम किया था। उसी से प्रभावित होकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आरएसएस को 1963 में गणतंत्र परेड में भी शामिल करने का न्यौता दिया था, जिसमें तीन हजार स्वयंसेवक शामिल हुए थे।
आरएसएस से कैसे जुड़े?
आरएसएस से जुड़ने के लिए आपको नजदीकी संघ शाखा या आरएसएस के भवन पर सम्पर्क करना होगा। जिसके बाद संघ की शाखाओं में जाकर आप आरएसएस से जुड़ सकते हैं।