
सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) एक ऐसा नाम है जिस पर भारत और अमेरिका दोनों देशों के नागरिक गर्व करते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की जानी-मानी अंतरिक्ष यात्री, सुनीता विलियम्स ने अपने साहस और विज्ञान में योगदान से विश्व में अपनी पहचान बनाई। खास बात यह है कि उनके पूर्वज भारत के गुजरात से संबंध रखते थे। वे न केवल अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने वाली महिलाओं में से एक हैं, बल्कि कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा भी रह चुकी हैं। उनके जीवन की कहानी संघर्ष, मेहनत और जुनून का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। इस आर्टिकल में हम उनके जीवन के बारे में जानेंगे।
सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय Sunita Williams ki jeevni
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो राज्य के युक्लिड शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम सुनीता लिंडसे विलियम्स है। उनके पिता दीपक पंड्या भारतीय मूल के गुजरात से थे, जबकि उनकी मॉं बोनी पंड्या स्लोवेनियाई मूल की थीं। विज्ञान और शोध में रुचि रखने वाले पिता की वजह से सुनीता को भी वैज्ञानिक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। सुनीता बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति कीं थीं। उन्हें तैराकी, दौड़ और अन्य खेलों में गहरी रुचि रही है। उन्होंने हमेशा नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मेहनत की, जिसने आगे चलकर उन्हें एक सफल अंतरिक्ष यात्री बनने में मदद मिली।
सुनीता विलियम्स की शिक्षा
सुनीता विलियम्स ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमेरिका में ही पूरी की है। इसके बाद उन्होंने 1987 में यूएस नेवल एकेडमी से फिजिक्स में ग्रेजुएशन (बीएस) की डिग्री प्राप्त की। वे अमेरिकी नौसेना में पायलट बनीं और फिर फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर डिग्री हासिल की।
पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव अंतरिक्ष विज्ञान की ओर बढ़ने लगा था। अमेरिकी नौसेना में हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में सेवा देने के बाद, उन्हें नासा के लिए चुना गया और, इसके बाद उन्हें अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा बनने का भी अवसर मिला।
अमेरिका में सुनीता विलियम्स का परिवार कब और कैसे पहुंचा?
सुनीता विलियम्स के पिता डॉ. दीपक पंड्या मूल रूप से गुजरात के रहने वाले थे। जब वे एक वर्ष से भी कम उम्र की थीं तभी पिता 1958 में अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन में आकर बस गए थे। वे एक न्यूरोसाइंटिस्ट थे और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए थे। वहां उन्होंने अपना करियर बनाया और अमेरिका में ही बस गए। सुनीता की मां बोनी पंड्या स्लोवेनिया से थीं।
सुनीता विलियम्स का गुजरात कनेक्शन
सुनीता भले ही अमेरिका में पली-बढ़ी हों, लेकिन उनका भारतीय संस्कृति और परंपराओं से गहरा जुड़ाव रहा है। उनके पिता के पूर्वज गुजरात के मेहसाणा जिले से ताल्लुक रखते थे। गुजरात के जुलासन गांव में उनके पूर्वज रहते थे। सुनीता कई बार भारत आ चुकी हैं, और उन्होंने यहां के लोगों से मुलाकात भी की है। सुनीता जब 2007 में अंतरिक्ष यात्रा से वापस आईं, तब उन्होंने गुजरात का दौरा किया और अपने पुश्तैनी गांव भी गईं। उस समय उन्होंने कहा था कि भले ही वे अमेरिका में जन्मी और पली-बढ़ी हैं, लेकिन उनका दिल हमेशा भारत से जुड़ा रहेगा।
नासा में सुनीता विलियम्स का सफर
सुनीता विलियम्स को 1998 में नासा के लिए चुना गया था। 2006 में उन्हें पहली बार अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला।
मुख्य अंतरिक्ष मिशन:
- STS-116 (2006-2007) – इस मिशन के दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 195 दिन बिताए।
- Expedition 32/33 (2012) – इस मिशन में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए और अंतरिक्ष में 127 दिन गुजारे।
- सुनीता अब तक कुल 322 दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं, जो किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में स्पेसवॉक (बाहरी गतिविधि) करने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। वे छह बार स्पेसवॉक कर चुकी हैं, जिसमें कुल 50 घंटे से ज्यादा समय अंतरिक्ष में खुले वातावरण में बिताया। सुनीता विलियम्स की कहानी किसी भी युवा के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उन्होंने दिखाया कि मेहनत, आत्मविश्वास और लगन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।