आपने अपनी स्कूल में या किसी और शिक्षण संस्थान में यह बात अवश्य पढ़ी होगी कि एक आदर्श बालक के गुण क्या होना चाहिए या फिर यूं कहें कि एक आदर्श विद्यार्थी के गुण क्या-क्या होने चाहिए ? आदर्श विद्यार्थी के गुणों में नैतिक शिक्षा, सूर्योदय से पूर्व उठना, बड़ों का आदर करना इत्यादि आदतें शामिल की जाती है। इसके साथ ही इसमें एक बात कही जाती है, वह है दूसरों की मदद करना।
जी हां ! हम अक्सर किसी न किसी रूप में दूसरों की मदद करते रहते हैं, लेकिन कहीं अगर ऐसा हो कि विद्यार्थी अपनी पॉकेट मनी से कोई चीजें खरीदें और उन चीजों को ऐसे विद्यार्थियों को बांट दें, जिनकी उन्हें ज्यादा जरूरत है तो यह दूसरों की मदद करने का वाक्य अपने आप में बहुत ही गौरवमयी साबित हो जाता है। ऐसा ही कुछ उदयपुर के युवाओं ने कर दिखाया और आज भी यह कार्य निरंतर करते जा रहे हैं।
बात 2017 की है जब उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुछ युवाओं ने मिलकर ऐसा करने की ठानी जिससे आसपास के कच्ची बस्तियों व ढाणी गांव में पढ़ने वाले प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों को संसाधन उपलब्ध हो सके। इसके लिए उन्होंने शुरुआत में अपनी पॉकेट मनी से यह कार्य करने की सोची।
इस पहल को अंजाम दिया मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व केंद्रीय छात्र संघ महासचिव सिद्धार्थ सोनी और उनके कुछ साथियों ने। सिद्धार्थ सोनी और उनके कुछ साथियों ने सर्वप्रथम अपने-अपने स्तर पर हर महीने कुछ पॉकेट मनी एकत्र की और पास के ही ढीकली गांव के चमरा तलाई प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों में स्टेशनरी, शूज, चप्पल, स्वेटर इत्यादि बांटने का बीड़ा उठाया।
इस टीम ने अपनी पहल को सिद्धम नाम दिया। सिद्धम यानी कि सिद्ध करने वाले।
यह टीम हर महीने पॉकेट मनी इकट्ठा करती और आसपास की प्राथमिक स्कूलों में जाकर वहां के जरूरतमंद बच्चों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार चीजें उपलब्ध करवाती। धीरे-धीरे उनकी इस पहल से दूसरे कॉलेजों के भी विद्यार्थी भी जुड़ गए। इसके बाद 2019 में सिद्धम ग्रुप ने एक एनजीओ के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया और क्राउड फंडिंग शुरू कर दी।
इसके तहत वे सोशल मीडिया के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए पैसे इकट्ठे करने लगे और उन पैसों से स्कूलों में जाकर चीजें वितरित करने लगे।
वर्तमान में सिद्धम संस्थान उदयपुर की 13 स्कूलों में काम कर रहा है और अब तक करीब 10 हज़ार से ज्यादा बच्चों को स्टेशनरी, यूनिफॉर्म, जूते, चप्पल, स्वेटर इत्यादि बांट चुका है। इतना ही नहीं सिद्धम की ओर से हर सप्ताह फ़ूड ड्राइव की जाती है, जिसमें आसपास की कच्ची बस्तियों में रहने वाले बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाया जाता है।
सिद्धम टीम का मानना है कि प्रत्येक विद्यार्थियों को इस तरह की पहल करनी चाहिए और उन विद्यार्थियों को सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए जिनके पास इस तरह के संसाधनों की कमी है, क्योंकि संसाधनों के अभाव में यह बच्चे खुद को हीन महसूस करते हैं एवं कई बार तो पढ़ाई भी छोड़ देते हैं। सिद्धम की इसी पहल के जरिए उनकी युवा टीम ने करीब 70 से ज्यादा स्कूल छोड़ चुके बच्चों को पुनः स्कूल से जोड़ा है। इन बच्चों ने पढ़ाई इसलिए छोड़ दी थी क्योंकि उनके पास जूते, स्टेशनरी आदि नहीं थी।
सिद्धम की टीम में फाउंडर सिद्धार्थ सोनी के अलावा आदित्य शर्मा, करिश्मा सोनी, अभिजीत सिंह खींची, हिम्मत प्रजापत आदि शामिल है।
यूथ फॉर चेंज टीम सिद्धम की सराहना करता है कि वह इस प्रकार की पहल करके उन विद्यार्थियों की मदद कर रहे हैं, जिनकी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं है एवं उन्हें संसाधन उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।